सोमवार, 13 सितंबर 2010

मत बनाओ गगन का चांद

मैं
चाहती हूं
धरा पर रहना
तुम्हारे साथ
मुझे मत बनाओ
गगन का चांद
रहने दो अपनी बाहों में
देवी समझ कर
मत अर्पण करो पुष्प
मेरे कदमों पर
लगा दो एक कली
मेरे बालों में
खिल जाने दो
फूल बनकर

54 टिप्‍पणियां:

nilesh mathur ने कहा…

बहुत सुन्दर, बेहतरीन रचना!!!

VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…

bahut he sundar bhaw...bahut he sundar echchha...sundar rachna ke liye badhayi.....swagat ke sath vijayanama.blogspot.com

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

जी हाँ वीना जी-वास्तव में गगन का चाँद या चाँद का टुकड़ा कहलाना अपनी वास्तविक सुन्दरता को झुठलाना है..क्यों कि चाँद दूर से देखने में सुन्दर भले ही लगे पर वास्तव में है वो बदसूरत ही.इसलिए आप ने ठीक ही लिखा है...''मुझे मत बनाओ गगन का चाँद''.यानी मेरी सच्ची सुन्दरता को पहचानो.
बहुत इंतज़ार था आप की नयी रचना का.शुक्रिया.

Anamikaghatak ने कहा…

बेहद खुबसूरत अभिव्यक्ति.........बढ़िया

MY HEART ने कहा…

बहुत सुन्दर शब्द नहीं है तारीफ के

शिक्षामित्र ने कहा…

बहुआयामी कविता। सार्थक,सटीक,मार्मिक,वेधक।

कुमार राधारमण ने कहा…

स्त्री अपनी मौलिकता में कितनी सुन्दर लगती है!

babanpandey ने कहा…

aap mere blog..
http://babanpandey.blogspot.com
par gaye ....aabhari hun ..main LAMBU
naam se aapke blog ko follow kar raha hun ..likhate rahiye ...
padhte rahiye ..
saadar ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सुन्दर रचना ...

जय शंकर ने कहा…

veena ji, vakai bahut khubsurat panktiyan hai.

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

नीलेश जी, विजय जी, यशवंत जी और एना जी..आपका आभार अपनी बहुमूल्य राय देने के लिए...यशवंत जी सच तो यही है...इंसान ही सबसे खूबसूरत होता है...वास्तविक सुंदरता मन की है...उसको पहचानना चाहिए...

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

माय हार्ट,शिक्षा मित्र, कुमार जी,बबन जी, संगीता जी और जय शंकर जी आप सबका तहे दिल से शुक्रिया...

sushil ने कहा…

सुंदर रचना है, वीणा जी

Arpit Shrivastava ने कहा…

kHOOBSURAT RACHNA

कुमार संतोष ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत कविता है वीणा जी ! अतीसुन्दर !

kaushal ने कहा…

बहुत खूब...

रूप ने कहा…

शानदार वीणा जी , बहुत ही प्रभावी, मुझे वो कविता याद आ गयी 'चाह नहीं मै सुरबाला के गहनों मे गुंथा जाऊं ' plz follow my blogs and suggest me.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

वीना जी ,
स्त्री मन के भावों को खूब बांधा है आपने ....
देवी अब समझी ही कहाँ जाती है ....
या मेरी ही नज़र ने ऐसा नहीं देखा .....
रचना अपना स्थान रखती है .....!!

Jesson Balaoing ने कहा…

I appreciate your lovely post.

Urmi ने कहा…

आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत सुन्दर, शानदार और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

कविता रावत ने कहा…

लगा दो एक कली
मेरे बालों में
खिल जाने दो
फूल बनकर
.....स्त्री मन के भावों की खुबसूरत अभिव्यक्ति.........

रचना दीक्षित ने कहा…

सुन्दर शब्द ,खुबसूरत अभिव्यक्ति

neelima garg ने कहा…

खिल जाने दो
फूल बनकर.....bhavpuran....

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

अले वाह, कित्ती सुन्दर कविता..बधाई.

______________

'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.

Ra ने कहा…

बहुत सुन्दर !!!

खुबसूरत अभिव्यक्ति!!!!

अथाह...

dhnyvaad

Nirantar ने कहा…

bahut khoob

Kailash Sharma ने कहा…

हमारे समाज में औरत को आसमान का चाँद या धरती की देवी बनाने की एक प्रारंभ से ही परंपरा रही है , लेकिन हम यह भूल जाते हैं की वह सिर्फ एक औरत के रूप में अपनी पहचान चाहती है .......बहुत सुन्दर प्रस्तुति.....
http://sharmakailashc.blogspot.com/

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

वीणा जी ...बहुत सुंदर रचना है .
आभार ...

Asha Joglekar ने कहा…

लगा दो एक कली
मेरे बालों में
खिल जाने दो
फूल बनकर
सुंदर सरल शब्दों में गहरी बात । बधाई वीनाजी ।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

kitni pyari chah........:)
behtareen rachna!! achchha laga, aapka blog..........!!
follow karna para!!:)

Gautam Sadhuram Priye ने कहा…

bahut sunder kavita ...aapko badhaiyan evam shubhkamnayen

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

bahut shaandaar kavita...aik naari ki abhilashaa.......badhai ..in sundar panktiyo ke liye.. aik stri kee awaaj ban jaane ke liye...

बेनामी ने कहा…

bahut hi sundar rachna..
yun hi likhte rahein....
samay nikal kar mere blog ka bhi rookh karein....

Rajendra Tiwari ने कहा…

बहुत अच्छी कविता है....

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

आप सभी मित्रों का दिल से स्वागत और धन्यवाद..नन्ही पाखी को तो ढेर सारा प्यार...

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

सुशील जी, अर्पित जी, संतोष जी,कौशल जी, रूप जी, हीर जी,ब्राउन जी बबली जी..आप सबका धन्यवाद..अपनी अनमोल टिप्पणी देने का...

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

कविता जी, रचना जी,नीलिमा जी,राजेंद्र मीणा जी, कैलाश जी,डा. तेला, वीरेंद्र जी, आशा जी,मुकेश जी,गौतम जी, डा. नूतन,शेखर जी, राजेंद्र जी और अनामिका जी आप सबका दिल से स्वागत करती हूं और आभारी हूं

SM ने कहा…

beautiful poem

संजय भास्‍कर ने कहा…

वीणा जी
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया .......माफी चाहता हूँ..

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

कितनी ग़ज़ब की कविता लिखी है आपने....कमाल कर दिया...

अनुपमा पाठक ने कहा…

nice expression of simple love that seeks just togetherness!!!

Urmi ने कहा…

टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मेरे इस ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है!
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

एक सार्थक एवं ईमानदार प्रयास।
सफलता आपके चरण चूमे।
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

Shaivalika Joshi ने कहा…

Bahut badiya....

शरद कोकास ने कहा…

रहने दो बाहोँ में देवी समझ कर .... बेहतरीन बिम्ब है ।

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

एसएम जी,संजय जी,महफूज़ जी,अनुपमा जी,डा.डंडा लखनवी जी, बबली जी,शिवालिका जी,शरद जी आप सबका धन्यवाद

श्याम जुनेजा ने कहा…

यहाँ बराबरी की बात ठीक लग रही है ..सुन्दर!

खुश ने कहा…

सूफियाना प्रयोग...क्या बात है। हिंदी साहित्य की धरोहर बन सकती हैं आपकी रचनाएं...प्रयास जारी रखें।

anilpandey ने कहा…

kavita krna wakaee koi aapse seekhe

anilpandey ने कहा…

kya amaratwa ka lok milega meri karuna ka uphar
rhne do he dev are yh mere mitne ka adhikar
mahadevi verma ne bhi aisa hi kahaa tha

aapkamanoj ने कहा…

जब तक धरती पर चाँद नहीं मिल जाता, तब तक गगन वाला चाँद ही सही :) ||

http://aapkamanoj.blogspot.com/2010/09/blog-post_9278.html

ZEAL ने कहा…

मत अर्पण करो पुष्प
मेरे कदमों पर
लगा दो एक कली
मेरे बालों में
खिल जाने दो
फूल बनकर

bahut sundar panktiyan.

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